रविवार, 20 दिसंबर 2009

ताऊयहाँपुर... सफर के आस-पास की कहानी (पार्ट-1)

- बोल जमूरे.....कहाँ है तू?
- हम यहाँ है।
- यहाँ? कहाँ यहाँ?
- यहाँ.....जहाँ चारो ओर हवा बह रही है..और कोने में तुम डमरू बजा रहे हो..
- तो हम कहाँ हैं?
- ये तो तुम जानो....अब तुम बताओ कि हम कहाँ हैं?
- अब समझ गए हम.....तुम भी इसी दुनिया में हो और हम भी इसी दुनिया में..
- समझ गए ना.. तो बोलो मदारी तुम्हें कैसी लगी यह दुनिया?
- बड़ी हीं उलूल-जुलूल है यह दुनिया....जहाँ खुद का पता भी दूसरे से जोड़कर देते हैं और दूसरा खुद को हीं ढूँढता रह जाता है। जमूरे तुम्हें मुबारक हो यह दुनिया क्योंकि तुम वैसे हीं नाच रहे हो मेरे इशारों पर...जैसे इंसान नाचता है बहुतों के इशारों पर..इसलिए तुम्हें जमेगी यह दुनिया..मैं तो चला।

कहते हैं कि वह जमूरा असल में इंसान हीं था और वह मदारी कोई भगवान। और कहानी से जाहिर है कि उस मदारी ने अपने हाथ खड़े कर दिए..यानि कि अब भगवान में भी इतनी ताकत नहीं है कि हम इंसानों को संभाल सके या दुनिया में जीने की राह बता सके। तब से हम ऐसे हीं भटक रहे हैं किसी और के इशारों पे...कभी "पैसों" के तो कभी "ऐशों" के..


ये तो थी ज्ञान की बातें...मतलब कि आम भाषा में "सेंटिमेंटल", "लेक्चर" या यूँ कहो "फालतू" बातें।
अब हम चलते हैं एक ऐसे सफर पर जहाँ हमें भी हमारे भटकाव से बचाने के लिए किसी "रहनुमा"/"गाइड" की जरूरत पड़ी थी और हमने उस रहनुमा का क्या दिमाग खाया था कि पूछो हीं मत।

Disclaimer: इस कहानी की घटनाएँ और पात्र वास्तविक हैं....लेकिन सारे संवाद काल्पनिक हैं। हाँ इतना जरूर है कि संवाद लिखते समय मैने पात्र की भाषा और शारीरिक-भाषा दोनों का पूरा ध्यान रखा है। जैसे कि ताऊ का अंदाज वैसा हीं है..जैसा इस कहानी में मालूम पड़ता है। (All the characters and incidents mentioned in this story are REAL but dialogues are fictitious. Even then I have followed the body language and LANGUAGE of all the characters how they look and how they speak in real life. For example, Tau behaves the same way as I have portrayed him in this story.)

उस सफ़र में कुल मिलाकर सात लोग थे... "ताऊ", "पीए", "वीडी", "के", "बीस्ट", "रजनी" और "मणि"।


सफर से एक दिन पहले:

- वीडी..चलोगे ट्रेकिंग पर?
- रजनी.. दे ट्रेकिंग किंग!! फिर जा रहे हो..गुड है...ये बताओ कि ताऊ चल रहा है?
- पूछने की बात है!! चलेगा हीं.. वही नेता है अपना...मतलब कि लीडर
- नेता है कि लेता है?
- हाहाहा...नेता भी है और लेता भी है.. ज्यादा नहीं..बस दो बूँद ज़िंदगी की।
- दो बूँद नहीं भाई..पल्स पोलियो के सारे खुराक हीं ले लेता है..हर बार
- तभी तो उसके पैरों में जान है और इरादों में भी
- तो जानदार इरादों वाला ताऊ चल रहा है....तब तो मस्ती होगी। ठीक है तो हम भी चलेंगे। बाकी कौन-कौन हैं साथ में?
- वही अपनी बटालियन। एंबिडेक्स्टरस पीए, "एन आई टी के" का प्रेसिडेंट के, "ब्युटी एंड द बीस्ट" का बीस्ट और गर्लफ़्रेंड वाला मणि।
- और बाकी हम दो..गए गुजरे... हाहाहा

वीडी ताऊ के पास जाकर:
- ताऊ...तो चल रहा है ना?
- साले, सब लोग मेरे पूँछ पे लटकके जाओगे क्या...हर कोई मुँह उठाकर आ जा रहा है और यही पूछ रहा है।
- जा रहा है कि नहीं? ....पूँछ का बाद में देखेंगे।
- ह्म्म्म
- अपना बीस्ट है हीं...हनुमान.....उससे उधार ले लेना...नहीं तो तू भी उसी की पूँछ में लटक जाना। अच्छा ये बता....उसकी गर्लफ़्रेंड नहीं जा रही?
- हम ठेका लिए हैं उन दोनों का? वैसे बंदियाँ भी होतीं तो मजा आ जाता।
- क्या मजा आता? वो लोग तुमको लिट्टी बनाके खिलातीं क्या?
- साले...लिट्टी से कभी आगे बढोगे कि नहीं.....एक ऐसा हीं रामपुरिया (अपने हीं ग्रुप का बिछड़ा हुआ एक साथी) है जो कभी दाल-भात-भुजिया के लिए रोता है तो कभी लिट्टी के लिए। उस साले की भी च्वाईस अजीब है...चाहिए बिहारी खाना और बंदी रखेगा हाई-फाई। लगता है कि वो ज़िंदगी-भर "राम भरोसे हिंदु होटल" में हीं खाता रहेगा। "ताऊ तुमको अपने कालेज के होटल में ले चलेंगे..वहाँ भुजिया खाना, वहाँ पुड़ी खाना" - डेढ साल से सुना-सुनाकर कान पका दिया.. लगता है कि हम उसके लिए भूखे बैठे हैं... साला.. वैसे उसको सड़ा हुआ सत्तू खिलाकर मजा आ गया। अभी घर जाएँगे तो खोजेंगे कि सत्तू फिर से कहीं सड़ रहा है कि नहीं... हाहाहा
- ताऊ..बख्श दो रामपुरिया को। तुम्हारा क्या बिगाड़ा है वो...कितना सीधा बच्चा है। अच्छा हम यह सोच रहे थे कि अगर बीस्ट की बंदी ट्रेकिंग पर जाती तो हमारा कितना फायदा होता।
- साला....फिर से बंदी और वो भी बीस्ट की। तुम अपने को "के" या "मुल्की" (एक और खोया हुआ दोस्त) समझे हो कि कुछ भी बोल दोगे और बीस्ट माफ़ कर देगा। पकड़के इतना धोएगा ना कि "वीडी" से "मुल्की" बन जाओगे...मतलब कि चूसे हुए आम।
- क्या ताऊ तुम भी। हम तो अंग्रेजी सीखने की बात कर रहे थे। हम तो ट्रेक क्या... बीस्ट के फ्युचर के बारे में भी सोच लिए।
- साले तुम फैमिली प्लानर बन रहे हो।
- हम कोई "भारत सरकार" हैं या हम कोई "माला-डी" हैं कि फैमिली प्लानर बनेंगे।
- तो?
- हम कह रहे हैं कि बीस्ट ज़िंदगी भर में अंग्रेजी तो सीख हीं जाएगा। बांग्ला न उसकी बंदी को आती है और तेलगु न उसको। तो अंग्रेजी में हीं बतियाएगा ना। "प्लीज..कैन यू कम हेअर?" "प्लीज.. नो मोर क्लोथ्स.. आई कैन नोट वास मोर।" "प्लीज.. नो मोर डिसेज.. आई कैन नोट....
- साला....तुमको अंग्रेजी आती है सही से? अभी भी फोन पर मैनेजर से "या..." "या..." हीं करते रहते हो। वो तो इसी बहाने सीख रहा है ना। तुम भी किसी मेम को ढूँढो... पंजाबियों में क्या रखा है (उन्हें तो हिंदी आती है).. साउथ इंडियन्स के पीछे जाओ।
- हम तो भाई पंजाबन के हीं पीछे जाएँगे.. तुम जाओ मद्रासन को ढूँढो.. वैसे तुम्हारी "उस" का क्या हाल है? आहा...अब समझा....इसीलिए तुम्हारी अंग्रेजी सुधर रही है। तभी तो "चिंता" (हमारे ग्रुप का भगवान) की इंग्लिश ठीक करते रहते हो।
- उस...कौन उस....जो भी उस थी वो फुस्स हो गई। मेरी छोड़ो..तुम बोलो कि तुम्हारी पंजाबन कैसी है...अभी तक तुम्हीं देखते रहते हो या वो भी देखती है?
- पीछे मुड़े तो देखे....पीछे तो हम हैं। देख लेगी वो भी कभी.. तब तक अपना "नयनसुख" तो चालू रहेगा। वैसे हम देखने में माहिर हैं और कोई हमको देखते हुए नहीं देख पाता।
- स्साले देखते हीं रहो... किसी दिन भैया कहके सैंया के साथ निकल लेगी तब जाकर दिमाग लगाना।
- दिल है भाई
- दिमाग लगाए हो आज तक कभी। किसी शायर ने सच हीं कहा था कि "शायर और पागल में फर्क नहीं होता, दोनों के पास बातों का तर्क नहीं होता।" जो भी पूछो तो दिल है..दिल है.. दिल का अचार डालोगे।
- तुम नहीं समझोगे।
- और तुम समझके तो लगता है कि मैदान मार लिए। छोड़ो स्साले.....तुम्हारी कितनी मारें। तुम्हारी तो खुद मरी पड़ी है।
- ताऊ......हम क्या पूछने आए थे?
- हम क्या जानें। हम कोई रिकार्डबुक हैं। अपने घुटनों पर जोर डालो...दिमाग तो है नहीं।
- तुम जा रहे हो कि नहीं ट्रेकिंग पर।
- फिर पूछ रहे हो। हमारे पूँछ में लटक के जाओगे? हाँ जाएँगे..क्या कर लोगे।
- कुछ नहीं..
- ना ना बोलो बोलो।
- बस यही कि नहा लेना.....एक सप्ताह से नहाए नहीं हो.. रास्ता भर साथ रहोगे...बदबू से बाकी छह लोग मर जाएँगे।
- हो गया?
- हाँ
- तो भागो अब.....काम करने दो।
- लेकिन नहा लेना ताऊ.. और टार्च भी खरीद लेना.. हमको भूत से बहुत डर लगता है।
- डरपोक स्साले.....भाग यहाँ से। हमको ऐसे हीं फ्लैटमेट्स मिलने थे: "वीडी" और "पीए".. दोनों के दोनों डरपोक..फट्टू
चोम: (हमारा हाफमाईंड दोस्त) क्या ताऊ...नहाते नहीं हो..छि
ताऊ: चल तेरे साथ नहाते हैं....
चोम: नहीं... नहीं....

सफर से लौटते वक्त(पुणे स्टेशन पर):

के(हर किसी से, बस बीस्ट को छोड़कर): एक जोक सुनेगा......सुन। पर, बीस्ट को मत बताना...नहीं तो वो मेरा कीमा बना देगा।
ताऊ: बनाके क्या करेगा....खाएगा तो नहीं... वेजिटेरियन है वो
के: हाहाहा......हो गया? अब मेरा जोक सुन।
पीए: बको।
के: बीस्ट का अभी तक अपर बडी मतलब कि कमर के ऊपर का भाग हीं रीजिड था। 25 किमी चलने के बाद उसके टाँग भी रीजिड हो गए। अब वो ऐसे चल रहा है (के डेमो देकर दिखाता है) बीस्ट के पास पहले आईरन बाडी थी अब आईरन लेग्स भी हो गए।
ताऊ: मतलब कि दो-दो आईरन......दो-दो लोहे। अब बीस्ट से हम लोहा ले सकते हैं....
के: क्या फार्ट है।
वीडी: ठीक तो बोल रहा है ताऊ। पहले हम लोहा लेते तो बीस्ट बरबाद हो गया होता..अब लेंगे तो उसके पास एक लोहा बचेगा।
मणि: लोहा लेना तो एक मुहावरा है ना।
रजनी: चलो यह भी समझ गया....सही है।
बीस्ट: अच्छा यह भी समझ गया.....क्या समझा तुम?
मणि: यही कि "सब जलता है हमसे"
बीस्ट: और तुम सब काहे हँस रहा है।
ताऊ: नहीं..तुम अच्छा चलता है। (बीस्ट के स्टाईल में)
बीस्ट: साल्ल्ले...

25 किमी के सफर की शुरूआत से पहले(पुणे स्टेशन के बाहर टार्च की दुकान पर):

वीडी: देखो... पीए टार्च तोड़ दिया।
बाकी लोग: क्या पीए..एक काम सही से नहीं कर सकते।
ताऊ: तुम्हारा फ्युचर तो हमको अंधेरा में दीख रहा है।
रजनी: अंधेरा में तुमको दीख भी रहा है।
ताऊ: भावनाओं को समझो। उसका फ्युचर अंधेरा में है.. मेन प्वाईंट ये है..स्साले..कुछ भी पकड़के लटक जाते हो।
पीए: हाँ ताऊ..तो प्वाईंट क्या है...(बालों में हाथ फेरते हुए)
ताऊ: एक बार और बाल झाड़ लो.. सारी बंदियाँ यहाँ तुम्हीं को तो देखने आई है। एक टार्च सही से जोड़ नहीं पाते। स्साले...
वीडी: ताऊ साले......आगे बोलोगे..या जलेबी हीं छानते रहोगे।
ताऊ: सबको बड़ा इन्ट्रेस्ट आ रहा है। नहीं बोलेंगे.. जाओ।
के: क्या ताऊ..क्या फार्ट है।
मणि: कितने बजे ट्रेन है?
बीस्ट: अभी आधा घंटा है।
ताऊ: आधा हीं घंटा है.....पूरा घंटा कब होगा........ पीजे था.....छोड़ो।
बीस्ट: क्या बोला?
रजनी: कुछ नहीं...बोला कि आधा घंटा जल्दी हीं खत्म हो जाएगा..
बीस्ट: ह्म्म्म
मणि: चलो तब तक खाने का सामान ले लेते हैं।
ताऊ: टिकट हमारे पास है। इसलिए हम बढ रहे हैं आगे..प्लेटफ़ार्म पे। जगह रखेंगे सब के लिए। तुमलोग तब तक खाना लेकर आओ।
रजनी: खुद तो हो तुम डेढ पसली के और सब के लिए जगह रखोगे। ट्रेन का नाम याद है ना...और प्लेटफार्म।
ताऊ: आधे घंटे बाद मुंबई जाने वाली दस ट्रेन आएगी क्या? हाँ प्लेटफार्म पता है।
मणि: तो जाओ.....वीडी, पीए, के, बीस्ट .....तुम सब भी जाओ। हम और रजनी खाना लेकर आते हैं।
पीए: रजनी....खाना खाने मत लगना। आ जाना टाईम पे।
रजनी: हमको वीडी समझा है?

ट्रेन खुलने से 2 मिनट पहले:

पीए(बीस्ट से): ताऊ किधर गया?
ताऊ: हम यहाँ हैं।
वीडी: यहाँ मतलब कहाँ.. ट्वाईलेट में घुस गया क्या? खाली आवाज़ रही है..
ताऊ: अरे हम यहाँ हैं...अरे इधर..गेट के पीछे।
के: क्या फार्ट है। बाहर निकलो...स्साले दब के मर जाओगे।
बीस्ट: अब कितना दबेगा ये। हाहाहा..
वीडी: ट्रेन खुलने वाली है। दोनों केटरर अभी तक नहीं आए।
पीए: केटरर....अच्छा मणि और रजनी।
बीस्ट: कोई बात नहीं...टिकट तो अपने हीं पास है।
के: अरे ट्रेन खुलने लगी भाई। फोन करो..
पीए(फोन पे): रजनी साले......किधर है...भाग के आ जल्दी
वीडी: क्या बोला वो?
पीए: आवाज़ नहीं आ रही थी साफ.. कुछ तो वो बक रहा था।
बीस्ट: वो छोड़ो..ताऊऊऊऊऊऊ.....टिकट है ना तुम्हारे पास
ताऊ: हाँ..क्या?
बीस्ट: ताऊ साले....टिकट
ताऊ: टिकट.....स्साला टिकट तो मणि ले लिया था। उसको टिकट चाहिए था।
वीडी: काहे?
ताऊ: हम क्या जानें।
पीए: तो साले ताऊ.....उसको बस उसी का टिकट देना था..सब देने की क्या जरूरत थी।
के: साले...ट्रेन खुल गई...क्या फार्ट है....

पार्ट-2 के लिए यहाँ जाएँ।

-विश्व दीपक
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9 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Nice .. awesome ending :) ..

विश्व दीपक ने कहा…

thanks shailu.. It means a lot for me.

Mudit ने कहा…

Feels like being there...
Respect for Taauu and VD...
None for PA! :)

"ताऊ: एक बार और बाल झाड़ लो.. सारी बंदियाँ यहाँ तुम्हीं को तो देखने आई है। एक टार्च सही से जोड़ नहीं पाते। स्साले... "

HAHAHAHAH

Random Thoughts...Random Connections.. ने कहा…

Awesome VD... Job chodo aur writer ban jao...eagerly waiting for the 2nd part...

विश्व दीपक ने कहा…

@Mudit Agar tum kaho to tumhein bhi le aaoo second part mein :)
@Rampuria thanks bhai...... abhi to likhne ki shuruaat hai..... aage dekhte hian.

Ashish Kumar Srivastava ने कहा…

nice one VD and yeah Tau ka style mast capture kiya hai :)

blithering idiot ने कहा…

bahut khoob VD bhai.!

विश्व दीपक ने कहा…

@Kingi and Lakhotiya......... Thanks Thanks!! :)

Ashok Rajani ने कहा…

wah VD bhai...part 1 was worth the wait!
part 2 kab aa raha hain ab???