रविवार, 27 दिसंबर 2009

ताऊयहाँपुर... रेलगाड़ी-रेलगाड़ी (पार्ट-2)

पार्ट-1 के लिए यहाँ जाएँ।

Disclaimer: इस कहानी के पात्र वास्तविक हैं....लेकिन सारी घटनाएँ और संवाद काल्पनिक हैं। हाँ इतना जरूर है कि संवाद लिखते समय मैने पात्र की भाषा और शारीरिक-भाषा दोनों का पूरा ध्यान रखा है। जैसे कि ताऊ का अंदाज वैसा हीं है..जैसा इस कहानी में मालूम पड़ता है। (All the characters mentioned in this story are REAL but incidents and dialogues are fictitious. Even then I have followed the body language and LANGUAGE of all the characters how they look and how they speak in real life. For example, Tau behaves the same way as I have portrayed him in this story.)

तो सिचुएशन यह है कि रजनी और मणि पुणे स्टेशन के प्लेटफ़ार्म पर झक मार रहे हैं....अरे नहीं केटरिंग कर रहे हैं...अरे नहीं नहीं ट्रेकिंग के लिए खाना खरीदने गए हैं और बाकी के पाँच लोग ट्रेन में एक-दूसरे का मुँह निहार रहे हैं..एक दूसरे का नहीं बस ताऊ का। क्यों? अब भी बताना होगा। ताऊ ने जो सारे के सारे टिकट मणि को दे दिए हैं। अब लोगों को कुछ सूझ नहीं रहा कि किया क्या जाए? कूद जाएँ ट्रेन से(नही..हड्डी पसली टूट जाएगी), ताऊ को फेंक दे ट्रेन से(ये अच्छा उपाय है, लेकिन फेंकने से मिलेगा क्या..ताऊ ठहरा आधी पसली का..आप सोच रहे होंगे कि पहले पार्ट में डेढ पसली लिखा था और अब वो आधी पसली हो गया...तो भाई हम यहाँ ताऊ की पसलियाँ गिनने के लिए जमा हुए हैं या फिर ताऊ की गलतियाँ...गलतियाँ ना..तो क्या फर्क पड़ता है- आधी पसली या डेढ पसली और वैसे भी ताऊ को जो देख ले वो पसलियाँ गिनना भूल जाए। स्स्स्साला...ये खाने को खाता है या फिर खाना इसको खा जाता है पता हीं नहीं चलता। तो इसे फेंककर भी क्या होगा...हड्डियाँ होंगीं तो टूटेंगी..तो यह आईडिया भी केंसिल), या फिर बैठे रहें टी०सी० (टिकट चेकर) के इंतज़ार में(और कोई उपाय है भी क्या?) आप खुद देख लीजिए कि आखिरकार ये क्या फैसला लेते हैं और आखिरकार इनके साथ क्या होता है।

छुक-छुक करती ट्रेन के अंदर धुक-धुक करते दिल:

के: साले...ट्रेन खुल गई...क्या फार्ट है....
बीस्ट: ट्रेन खुल गया? किधर से खुल गया..इंजन से या पटरी से? कन्फ्युज्ड बातें मत बोला करो। कहो कि ट्रेन चलने लगा.. समझा?
पीए: बीस्ट साले..पीजे मारता है....तू तो समझ गया ना...तो समझके क्या मिला तुमको? तंबूरा?
बीस्ट: हमको क्या बोलता है? ताऊ को बोल...बड़ा हीरो बन रहा था। हम जगह रखेगा...हम जा रहा है पहले। स्साला खुद आ गया और टिकट दे आया अपना बीवी को।
के: बीवी को...कि हसबेंड को...हाहाहा
बीस्ट: तेरा क्यों जल रहा है...तेरा बीवी है क्या वो... जब देखो मुँह खोल देता है..
के: सौरी
पीए: ताऊ..ताऊ..
वीडी: सुसाईड कर लिया क्या साले...बोलेगा कुछ?
ताऊ: स्स्साला हमहीं को बोलो सब। हम तुम लोगों का नौकर हैं? काहे बोलें हम कुछ। हमारी मर्जी...किसी को दें टिकट.. बीस्ट साले... खुद तो पहले आया नहीं.. और हमको 6 बजे के ट्रेन के लिए 4 बजे उठा दिया। क्या मस्ती से सो रहे थे.. फोन आया तो धरफराके उठे। उधर से बीस्ट हड़बड़ाके बोला कि ट्रेन आधा घंटा में है..जल्दी आओ। भाग के आए हम... और यहाँ आके देखते हैं कि...
वीडी: तुम अकेले आया था? हम भी तो आए थे।
ताऊ: स्साले तो तुम आके कौन-सा तीर मार लिए। मर-मरके टिकट के लाईन में तो हम लगे।
पीए: झूठ बोलेगा ताऊ। लाईन में हम लगे थे..टिकट हम कटाए थे।
के: के.. पीए तुम टिकट कटाया था? कैसे कटाया था टिकट..जैसे हमेशा कटाता है...अपना
बीस्ट: हाहाहाहा
वीडी: स्स्सालों...पीजे मारते रहो। और कोई काम-धाम तो है नहीं। सीरियस डिसकशन हो रहा है.. और इन जोकरों को मजाक सूझ रहा है। समझ रहे हो तुम लोग.....हम लोग डब्ल्यु० टी० जा रहे हैं।
के: विद टिकट?
ताऊ: दिमाग में गोबर भरा है? किधर है टिकट कि विद टिकट? विदाउट टिकट..
वीडी: सब बेवकूफ़ भरे हैं यहाँ
के: के
ताऊ: तो स्स्साले पीए...टिकट जब तुम कटाया तो टिकट हमारे पास आया कैसे? उसमें पंख लगा था क्या कि फुर्र फुर्र उड़ के आ गया? कुछ भी बक दो। ठीक है...हमको क्या.. लोग जब लेंगे न..तब बुझाएगा।
ताऊ(पीए को छोड़कर बाकी सबसे): लो भाई.. लो इसकी...तलाशी लो। करो..करो..इसका पौकेट चेक करो। इसी के पास है टिकट..
ताऊ(पीए से): और बनो हीरो। हम कटाए थे टिकट...अब निकालो... स्स्स्साले हीरो बनने की आदत नहीं गई। कटवा-कटवाके मन नहीं भरा? और मचाओ...जहाँ मचाने जाते हो वहीं कटता है तुम्हारा.. मचाओ यहाँ भी?
वीडी: मचादो यहाँ भी। हाहाहा
पीए: मतलब.
वीडी: छोड़ो...क्या करोगे......वैसे भी शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है।
के: नाम? ....ओके..के
पीए: वीडी स्स्साले.. शेक्सपियर के परपोते.. मौका मिला नहीं कि गजोधर स्टाईल में मुँह खोले और भक से बोल दिए।
अंग्रेजी में ए,बी,सी,डी के बाद सीधे शेक्स..शेक्सपियर हीं पढ लिए क्या? हम बता रहे हैं..तब हीं तुम्हारी अंग्रेजी इतनी खतरनाक है.. छोड़ो तुमसे अंग्रेजी पे बात करना और कलकत्ता पैदल जाना एकदम सेम टू सेम है।
ताऊ: कलकत्ता तो बीस्ट जाएगा.......तुम तो पुरूलिया जाओ। अच्छा..बाद में जाना.. पहले ये बताओ कि स्स्साला टिकट किधर रखे हो छुपाके
बीस्ट: साले तुमलोग टिकट छुपाके रखा है क्या?
के: क्या फ़ार्ट है..
वीडी: के.. तुम क्या फार्ट पे पी०एच०डी० किए हो? और कुछ बोलने नहीं आता।
के: क्या फार्ट है..
वीडी: हम्म्म्म.... होपलेस.. बेवकूफी की हद है
ताऊ: पीए बोलेगा कुछ..
पीए: नहीं है साले....टिकट मेरे पास नहीं है।
ताऊ: तो टिकट का तुम किए क्या?
बीस्ट: स्साले ताऊ.. जब तुम्हारे पास था नहीं तो काहे बोले कि हमारे पास है। और फिर मणि को कौन दिया? तुम कि पीए
वीडी: साला..लगता है कि हम पगला जाएँगे। अरे ताऊ, पीए...तुम दोनों सेटिंग करके आए हो क्या? नौटंकी मचा रखे हो।
ताऊ: पीए..रजनी को फोन करो फिर से...पूछो कि कहाँ है?
बीस्ट: क्यों?
ताऊ: टिकट मणि के पास हीं होगा
के: तो दिया कौन उसको टिकट
पीए(फोन पे): रजनी साले....कहाँ मरा रहा है...
बीस्ट: क्या बोला
पीए: कुछ बड़बड़ा रहा था..समझ नहीं आया।
ताऊ: स्साले.....तुम्हारी समझदानी में छेद है। सारा समझ चू गया है उसमें से.. समझ नहीं आता तो फोन लेकर चलते काहे हो? स्साला..इसीलिए तुमसे बंदी नहीं पटती...आएँ आएँ, हलो हलो करते रहोगे तो यही न होगा।
पीए: और जैसे कि तुमसे पट जाती है? खाली फंडा हीं दो।
ताऊ: अरे तुम क्या जानो। कभी आराम से बताएँगे। वैसे भी तुमको बताके क्या फायदा। आफिस की हर बंदी पर ट्राई कर चुके और स्कोर अभी भी ज़ीरो। एक्सेल पर सेशन देने से फ्रस्ट्रेशन खत्म नहीं होता.. बंदी बस मास्टर जी हीं समझती है और गुरू तो पिता के समान होता है। हाहाहा
पीए: साले ताऊ
बीस्ट: तुमलोग अपना गुरूपंथी खत्म करेगा। साला मौका मिला नहीं कि बंदी पे लेक्चर चालू कर देता है। जिसके पास बंदी है वो बोलता हीं नहीं..
के: बीस्ट अपनी बात कर रहा है।
वीडी: तू समझ गया। बहुत दिमाग है तेरे पास। कहाँ से चुराया है। हाहाहा
बीस्ट: तो क्या करना है?
ताऊ: के..तू फोन कर..मणि को।
के: के..साउंड्स गुड।
के(मणि से): कहाँ है तू? टिकट तेरे पास हीं है ना?
मणि (के से): नहीं...क्यों? टिकट तो...
के: साला सिग्नल चला गया।
वीडी: क्या बोला मणि?
के: टिकट उसके पास नहीं है। स्साले तुम लोग पी के आए हो क्या? टिकट लिया भी था कोई कि लालू की ट्रेन समझके आ गए तुम ताऊ...... गंध मचाए हुए हो।
ताऊ: अरे टिकट लिए तो थे...पीए लिया था....हम पैसा भी दिए थे...
पीए: और स्साले ताऊ....टिकट लेने के बाद हम पैसा के साथ तुमको टिकट भी दे दिए थे।
ताऊ: हम्म्म
बीस्ट: तो टिकट गया कहाँ?
वीडी: पीए, ताऊ.. तुम हीं दोनों में से किसी के पास होगा...याद करो।
ताऊ: याद आ गया।
बीस्ट: याद आया तो अगले साल बकेगा?
ताऊ: अभी बकते हैं..लोड काहे लेते हो।
बीस्ट: बकेगा कि उठाके फेंके तुमको बाहर। दिमाग का दही करके रखा हुआ है।
के: हाँ यार कब से पेशाब पिलाए जा रहा है। (एन०आई०टी० के० के प्रेसिडेंट को वहाँ का लिंगो, वहाँ की भाषा यूज करने का अधिकार है..इसलिए इस डायलोग को सेंसर नहीं किया जा सकता।)
पीए: टिकट ताऊ के पास हीं है। हम बता रहे हैं...हम जानते हैं
वीडी: ताऊउउउउउउ
ताऊ: क्या?
के: ताऊ तेरे पास है टिकट?
ताऊ: ह्म्म्म्म्म..... आई थिंक सो... देखना पड़ेगा...
बीस्ट: स्साले अंग्रेज की औलाद बताएगा
ताऊ: पहले ये बोल कि तू मारेगा तो नहीं..मारेगा तो नहीं बताऊँगा.. वैसे भी तो तू तीन गलती माफ़ करता है।
बीस्ट: तेरे हीं पास है...हम समझ गया....नौटंकी साला
ताऊ: हम्म्म... स्स्साला पीए हमको टिकट दिया और वही भूल गया... और बाकी तुम लोग तो महाराजा हो, टिकट कौन लिया..किसके पास है..मतलब हीं नहीं है..पिकनिक पे जा रहे हो तुम लोग स्स्साले
पीए: हम कहाँ भूले थे...हम तो बोले कि तुमको दिए हैं..अब तुम अपनी बीवी को ले आए बीच में तो हम क्या करते।
के: मणि की बात कर रहे हो?
वीडी: नहीं तुम्हारी कर रहा है...कभी कभी अक्ल भी लगा लिया करो.. अक्ल क्या घास चरने गई है तुम्हारी।
ताऊ: स्साले.. मणि की गर्लफ़्रेंड है...ऐसे हीं कुछ भी बोल देते हो..
पीए: तो स्साले......तुम्हीं न लाए उसको बीच में कि टिकट मणि को दिए हैं
ताऊ: और तुमलोग मान भी गए..
वीडी: तो हमलोगों को सपना आएगा.. हमको लगा कि तुम फिर से ताऊपंथी कर गए। पहले भी तो तुम ऐसा किए हो। टिकट लिए 20 का और स्टेशन गए 21 को। ट्रेन में घुसे तो असलियत मालूम पड़ी। फिर मुँह लटकाके निकले बाहर।
ताऊ: हर बार वही नहीं होता।
पीए: तुम्हारा क्या भरोसा।
ताऊ: लेकिन इस बार तो तुम लोग बेवकूफ बने। वीडी और पीए प्लेटफार्म से लेकर ट्रेन तक मेरे साथ था। फिर भी स्स्साला बेवकूफ बन गया दोनों। अंग्रेज 200 साल ऐसे हीं नहीं बेवकूफ़ बनाया था तुम लोगों को
बीस्ट: तुमलोगों को?
ताऊ: अरे भावनाओं को समझो...हमलोगों को... बोला कि कौआ कान ले गया है तो हमलोग कौआ को देखने लगे.. कान को देखते तो न अंग्रेज टेंशन देता और न तुमलोग टेंशन लेता
पीए: जय हो ताऊ बाबा की.....तो स्टडापा दिखा दिए।
ताऊ: तुम नहीं समझोगे.. अच्छा, आफिस में अगला बैच कब आ रहा है? सेशन तो तुम हीं लोगे..लग जाओ... मचा दो इस बार.....
बीस्ट: मचा दो.. हम्म्म्म
पीए: पिट जाओगे तुम लोग... हम बता रहे हैं।
बीस्ट: हम डर गया
ताऊ: बीस्ट इसको माफ कर दो..तीन गलती तो तुम ऐसे हीं माफ करता है।
वीडी: ताऊ..तेरा नंबर जल्दी आएगा। चुप हो जा।
ताउ: अच्छा..हाँ...
के: स्साला..यानि कि टिकट हम हीं लोगों के पास है
पीए: तुमको अभी समझ आया? ट्युबलाईट साले
के: अरे नहीं..वो तो मैं समझ गया। लेकिन मैं सोच रहा था कि जबरदस्त क्लाईमेक्स आएगा और हम लोग ताऊ को फेंक देंगे बाहर लेकिन ये तो एंटी-क्लाईमेक्स हो गया। टू बैड यार..
बीस्ट: स्साले इतना दिमाग तू "कैट" में लगाया होता तो कब का फोड़ देता। और टिकट यहीं है तो अच्छा है ना। हमलोग अब आराम से जाएगा।
के: हाँ यार.. समझदार है तू
वीडी: लेकिन वे दोनों अपने रसोईये कहाँ हैं..मतलब कि पार्सल-ब्व्याज..अरे मतलब कि रजनी और मणि..ताऊऊऊऊ
ताऊ: हम क्या उनको पौकेट में लेकर बैठे हैं। तुम भी यहीं है और हम भी यहीं है...ज्यादा चिंता हो रही है तो फोन करो उनको।
पीए: करें फोन?
ताऊ: तुम मत करो...बेकार में बिल उठेगा.. तुमको समझ तो कुछ आएगा नहीं
बीस्ट: तो स्साले ताऊ..तुम हीं करो फोन
ताऊ: ठीक है... फोन दो...के फोन लगाओ।
के: किधर लगाएँ...तुम्हारे कान में?
ताऊ: नहीं...अपने **** में लगा लो (ये शब्द सेंसर्ड हैं)। स्साले इधर फोन दो।
के: स्साले ताऊ..एक फोन तक नहीं रखता है।
ताऊ: फोन है.. लेकिन तुम्हारा फोन हमको अच्छा लगा...इसलिए इसी से बात करेंगे। किसी महापुरूष ने कहा है कि "दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम और फोन फोन पर लिखा है बतियाने वाले का नाम"
के: कौन महापुरूष
पीए: और कौन.. श्री श्री 108 ताऊ बाबा..
वीडी: जय हो ताऊ बाबा की..
बीस्ट: जय हो..

उसी दौरान किसी अज्ञात जगह पर मणि और रजनी:

रजनी(मणि से): अरे के फोन कर रहा है।
मणि: पूछो कि वो लोग कहाँ हैं?
रजनी: हलो के..के..हाँ बोलो
उधर से(ताऊ): अरे हम ताऊ बोल रहे हैं... कौन कोना में घुसे हुए हो तुम लोग?
रजनी: ताऊऊउउउउ
ताऊ: कहाँ आऊँ? तुम लोग खाना ले लिए ना?
रजनी: खाना?
उधर हीं..पीए ताऊ से: स्ससाले ताऊ...खाना का बाद में पूछना..पहले पूछो कि वो लोग ट्रेन में चढे कि नहीं..चढे नहीं होंगे तो खाना क्या मोबाईल में ठूंसके भेजेंगे?
ताऊ (रजनी से): तुम लोग ट्रेन में चढा कि नहीं?
रजनी: ट्रेन में? अरे हाँ चढ गए हैं..तुमलोग कहाँ हो?
ताऊ: हम यहाँ हैं?
रजनी: हो गया.....खुश? यहाँ मतलब कहाँ?
ताऊ: अब कैसे बताएँ कि कहाँ हैं?
रजनी: नहीं बताओगे तो हम लोग तुमको ढूँढेंगे कैसे?
ताऊ(बीस्ट से): अरे बीस्ट..हमलोग कहाँ हैं?
बीस्ट(ताऊ से): समझा नहीं हम....कहाँ मतलब....ट्रेन में हैं
ताऊ(बीस्ट से): हमको दिखाई नहीं देता है क्या? मोतियाबिंद है हमको? सच कहते हैं कि पहलवान के पास दिमाग नहीं होता।
बीस्ट: ताऊ स्साले...
ताऊ(पीए से): तुम बताओगे कि हम कहाँ हैं..किस डब्बा में हैं?
पीए(ताऊ से): जनरल डब्बा में...पर पूछ काहे रहे हो तुम?
ताऊ(पीए से): हम किताब लिखने वाले हैं...इसलिए पूछे हैं... जब दिमाग बँट रहा था तो तुम कहाँ गए थे...सैलून में? बाल बनवाने...अरे उधर से रजनी पूछ रहा है..इसलिए पूछे तुमसे..
पीए(ताऊ से): तो तुम नहीं बता सकते हो?
रजनी(ताऊ से..फोन पर): ताऊ स्साले.... ड्राईवर से चल गया क्या पूछने? अरे बताएगा भी
ताऊ: अरे बता रहे हैं.....एक साथ सबलोग दिमाग मत चाटो....हमलोग जनरल डब्बा में मरा रहे हैं
रजनी: तो हम नाचें? इतना सारा जनरल डब्बा है....किस-किस में ढूँढेंगे तुमको
ताऊ: नहीं तो हम नाचे? वैसे भी टिकट हमारे पास है..इसलिए आना तो तुमको हीं होगा..
रजनी: ये बताओ कि तुम्हारे डब्बे के पास में कोई स्लीपर क्लास भी है क्या?
ताऊ: काहे? तुमको सोना है? स्साले.....तुम कहाँ हो ये बताओगे.....
रजनी: अरे.....वहीं तो हम बता रहे हैं....
ताऊ: क्या? कि क्लास में सो रहे हो?
रजनी: पीजे मत मारो.....
ताऊ: पीजे को मारना बहुत मुश्किल है भाई.....टीटी टेबल पर पीजे सबको मारता है.. बकर सुना-सुनाकर। उसको कोई नहीं मार पाता। जिस दिन उसको मार दिया, फिर देखना..
रजनी: कौन पीजे...फिर पीजे मार रहे हो तुम
ताऊ: अरे वही अपना आफिस वाला पीजे......तुम्हारा तो अच्छा दोस्त है। हाहाहा
मणि (रजनी से): अरे क्या कर रहे हो तुम लोग? पूछोगे कि कहाँ हैं वो लोग
रजनी (मणि से): नहीं तो और क्या कर रहा हूँ मैं? उसको लोरी सुना रहा हूँ? तुमको कोई दिक्कत है?...बैठो ना आराम से.. हाँ..खाना पकड़ के बैठना और उधर मत देखो....स्साले तुम्हारी गर्लफ्रेंड है। बोर हो रहे हो तो खाओ इसी में से....चावल भी है.
मणि: हम्म्म
ताऊ(रजनी से): किधर गया....सो गया क्या स्लीपर में? तुम स्लीपर में घुस गए हो?
रजनी(ताऊ से): हाँ....अब समझे तुम...प्रोसेशर चेंज करो। स्साले एस०डी० (सोफ़्टवेयर डेवलपर) के नाम पर कलंक हो तुम। चिंता(पहले पार्ट में भी नाम आया था...एस०डी० का देवता) से माँग लो नया....
ताऊ: अब तू पीजे मारने लगा। क्या होगा इस देश का? बता किस स्लीपर में है तू?
रजनी: तेरे डब्बे के पास कोई स्लीपर है....तू बस इतना बता..मैं खोज लूँगा।
ताऊ: तू भी तो देख सकता है कि तेरे स्लीपर के पास में कोई जनरल डब्बा है कि नहीं।
रजनी: अरे हाँ... हाँ हाँ..है तो एक
ताऊ: तो कर्जत (जहाँ हमें जाना है) पहुँचकर ढूँढना शुरू करेगा क्या?
रजनी: आता हूँ।
ताऊ: तो मैं फोन रखूँ। के का है। वो रो रहा है।
रजनी: तुम्हारा फोन क्या हुआ?
ताऊ: मैं खा गया...तुझे उससे क्या?
रजनी: रख दो।

थोड़ी देर बाद:
रजनी (फोन पर): के?
के: हाँ बोल
रजनी: ताऊ को फोन दे
ताऊ: हाँ, रजनी बोल
रजनी: पता चला कि जनरल डब्बा स्लीपर के बाईं ओर है।
ताऊ: तो आ जा। खाली पता करने को थोड़े हीं बोला था।
रजनी: कैसे आऊँ... वहीं रास्ते पर टी०सी० खड़ा है। और साला मणि भी नहीं मिल रहा है। उसको बताए कि तुमलोग जनरल डब्बे में हो तो वो तुम लोगों को खोजने निकल गया।
ताऊ: तो वो इधर हीं आ रहा होगा। तुम भी आ जाता साथ में। तुम कैसे अटक गया?
रजनी: अरे तो हम सोचें कि पहले पता कर लें तो निकलेंगे।
ताऊ: स्स्साले.....पता हीं करते रहो। स्लीपर में घुसने से पहले पता नहीं किए थे? अब रहो उधर हीं।
रजनी: नाटक मत करो....तुम आओ इधर....तुम्हारे पास तो टिकट है।
ताऊ: हम काहे आएँ......और वैसे भी हमारे पास स्लीपर का टिकट थोड़े हीं है।
रजनी: सबका एक हीं टिकट होता है।
ताऊ: हाँ तुम्हारे बाबूजी की ट्रेन है ना? तो एसी में काहे नहीं घुस गए।
वीडी (ताऊ से): ताऊ, मणि फोन कर रहा है।
ताऊ (वीडी से): क्या हुआ उसको?
वीडी: वो वाशरूम/बाथरूम/ट्वायलेट में छुपा हुआ है।
ताऊ: काहे....
वीडी: उसके पास टिकट जो नहीं है और टी०सी०(टिकट चेकर) बाहर हीं खड़ा है।
ताऊ: स्साले सब एक से बढकर एक हैं।
ताऊ (रजनी से): स्स्साले तुमलोगों को जनरल और स्लीपर में डिफरेंश नहीं बुझाता है क्या? कलर ब्लाईंड हो...कि पूरे अंधे हो?
रजनी: क्या हुआ?
ताऊ: अभी मणि फोन किया था....ट्वायलेट में हनीमुन मना रहा है।
रजनी: मतलब?
ताऊ: मतलब कि वो ट्वायलेट में डरकर बैठा हुआ है..टी०सी० से।
रजनी: शिट.....शिट..
ताऊ: अब इतना हमको थोड़े हीं पता है.....गेस करो...ट्वायलेट में है तो शिट तो होगा हीं.
रजनी: शिट मतलब सारा खाना उसी के पास है और वो खाना लेकर ट्वायलेट में घुस गया। हे भगवान......
ताऊ: शिट..शिट.. ******** (सेंसर्ड शब्द फिर से) साले तुम लोग भी...
बीस्ट(ताऊ से): क्या हुआ?
ताऊ: लड़का हुआ.....
के: मतलब?
ताऊ: मतलब कुछ नहीं....हम आ रहे हैं उन दोनों नौटंकियों को लेकर। तुम लोग यहीं रहना.. तुम लोग भी शिटपंथी मत करने लगना।
पीए(वीडी से): क्या बोला ताऊ?
वीडी: बोला कि ताऊपंथी मत करना....
के: और उससे पहले?
वीडी: बोला कि लड़का हुआ। अरे कुछ नही..... पीजे था.....और समझाऊँ?
बीस्ट: नहीं..समझ गया।
के: क्या फार्ट है!!

पार्ट-3 के लिए यहाँ जाएँ।

-विश्व दीपक
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3 टिप्‍पणियां:

Aaditya ने कहा…

confusion and pj..awesome :)
Tau to macha diye iss baar...its really great how they CAN talk about anything and CAN'T talk about a thing :P

Random Thoughts...Random Connections.. ने कहा…

TAU ko toh god bana diye VD...Johny lever, Rajpal Yadav ka status de diye use... Keep it up VD. Nice read.. Lekin baki characters me jaan dalo. TAU ko hi main hero bana diye ho.. PA ki aur maaro toh jyada mazaa aayega. Uske baal ke saath khilwaad kar sakte ho.

विश्व दीपक ने कहा…

PA ki kitni maarein bhai.....Bahut maar diye.. likhe to hain ki "jab dimaag bat raha tha to tum saloon gaye the.." :)